संगी के बिहाव

दोस्ती म हमर पराण रिहिस हे, जुन्ना अब संगवारी होगे।
तोर बिहाव के बाद संगी, मोर जिनगी ह अंधियारी होगे।

बाबू के घर म खेले कूदे, तै दाई के करस बड़ संसो।
सुन्ना होगे भाई के अंगना, जिहाँ कटिस तोर बरसों।।
अपन घर ह पराया अऊ, पर के घर अपन दुवारी होगे।
तोर बिहाव के बाद संगी, मोर जिनगी ह अंधियारी होगे।।

तोर आंखी म आँसू आतिस, त मोर छाती ह कलप जाये।
जबै तैहा खुश होतै पगली, तभै मोला खुशी मिल पाये।।
बिहाव होए ले‌ संगी तोर, दिल के मोर चानी चानी होगे।
तोर बिहाव के बाद संगी, मोर जिनगी ह अंधियारी होगे।।

खुशी के मारे आयेव बिहाव म, आके मोला थरथरासी लागिस।
बिदाई बेरा तोला रोवत देख, महु ल बड़ रोआसी लागिह।।
चंदा चमकत रिहिस फेरा म, बिदाई के बेरा एतवारी होगे।
तोर बिहाव के बाद संगी, मोर जिनगी ह अंधियारी होगे।।

भुलाबे झन तै मोला संगवारी, खियाल राखबे तैहा तोर।
दुख झन मिलै कभु मिस खान, विनती हवै ईहीच मोर।।
सुरता त‌ तोर आही संगी, फेर तै अब काकरो सुवारी होगे।
तोर बिहाव के बाद संगी, मोर जिनगी ह अंधियारी होगे।।

पुष्पराज साहू “राज”
छुरा (गरियाबंद)

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5 Thoughts to “संगी के बिहाव”

  1. रीझे यादव

    बढिया फ्लावर किंग

    1. Pushpraj

      बहुत बहुत धऩ्वाद सर जी

  2. Nilesh Deshlahare

    Sahi kaha dost kavita me
    Apna sangi jise hum chahte hai wo kisi aur k sath shadi ho ke chali jaye toh bada dukh hota hai…
    Nice kavita

    1. Pushpraj

      Thank u Nilesh bhai….

  3. Shalu Nishad

    chhattisgarhi bhasha ke vikaas me bahut yogdaan dega ye website
    aisy aur karyo ki jarurat hai

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